Thursday, May 17, 2012

Nanda Devi Raj Jat Yatra


Nanda devi raj jat is an important spiritual, cultural event form Garhwal  kumoan. It’s also known as “Mahakumbh of Himalayas”. 21 days long Nanda Devi Raj Jat is spiritual festivals of Uttarakhand in India. Nanda devi raj jat yatra are famous in all over world.
People from entire kumaon and Garhwal devision Participate in Nanda Devi Raj Jat yatra. Nanda devi raj jat is observed after 12 years. Chamoli district in Garhwal division,  Pithoragarh and Almora district in kumaon division are tha main area related in nanda devi raj jat. Nanda devi raj jat yatra is start from nauti  village near Karnprayag  and goes up to roopkund and hemkund with four horned sheep.
Nanda devi  is considered as tha gaura devi daughter of Himwat .








How to Reach
There are several way to reach Nanda devi raj jat
By air- if you attend Nanda devi  raj jat yatra in 2013 nearest airport is jolly Grant Airport Dehradun.
By Train- the nearest railway station is Rishikesh
By Road- Chamoli district is well connected with Haridwar and Rishikesh



"राजजात एक अनछुआ सच"
नन्दा देवी राजजात यानि नन्दा देवी राजराजेश्वरी की यात्रा ना कि राजनेताओँ की यात्रा॥
जी हाँ ये बात चल रही है उत्तराखण्ड मेँ होने वाली नन्दा देवी की यात्रा की॥नेताओँ के
पैँसा कमाने का जरिया बन रही ये यात्रा॥चाहे वो एक कांग्रेस के छोटे नेता भुवन नौटियाल जी हो चाहे भाजपा के सांसद तरुण विजय॥जी जान से जुटे हैँ यहाँ तक कि देश के सर्वोच्च आदमी श्री प्रणव मुखर्जी को भी इस यात्रा मेँ न्यौता दिया गया।अरे क्यो न हो एक हजार करोड़(10000000000) मतलब दस अरब जो मांगे हैँ केन्द्र से ।जो भी मिलेगा 20% बड़े साब का20%छोटे छोटेसाब बाँट लेँगे 20 % बाद मे काम आयेगा अरे 40% का काम कर लेँगे ।पक्के पुल न हो तो घटिया RCC डालके भी कुछ न कुछ तो बच ही जायेगा।
आपने आजकल अखबारोँ मेँ तो पढा ही होगा आजकल सांसद तरुण विजय महाराज नंदा राजजात के बारे मेँ बहुत जोर शोर से प्रचार कर रहेँ हैँ । ये भी कह रहे हैँ कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार नन्दा राजजात की तरफ ध्यान नही दे रहे हैँ आखिर कब पैँसा मिलेगा। अरे कुम्भ मे भी तो हुआ यहाँ भी बन्दर बाँट कर लेँगे ॥
अरे भाई ये माँ नन्दा भगवती की यात्रा है राजाओँ की नही
नौटी मेँ राजा ने श्री यन्त्र स्थापित किया ।जबकि काँसुवा मे राजा के छोटे भाई रहे।
नन्दा जात मेँ राजा आते हैँ ना कि नन्दा जात राजा के यहाँ जायेगी यही होता था राजजात मेँ बहुत पहले, जब घाट ब्लाक के कुरुड़ गाँव से नन्दा जात चौसिँग्या खाड़ूके साथ निकलती थी और कासुवा के राजपूत अपनी शाही छतोली लेकर नन्दकेशरीमे मिलते थे तथा यहाँ से यात्रा आगे बढती थी और वापस कुरुड़ गाँव मेँ आकर सम्पन्न होती थी।काँसुवा के स्थानीय कुल पुरोहित नौटी के थे।आपसी साँठगाँठ से नौटी का नाम इन्होने राजजात मेँ जोड़ दिया।तथा नौटी को ही राजजात का मुख्य स्थान बताने लगे।इनकीभी अपनी कमेटी बनने लगी।कुछ समय बाद नौटी का नाम अत्याधिक प्रसिद्ध कर दिया बाहरी जनता के सामने॥ नौटी मेँ न माँ की डोली थी न मन्दिर अब कुछ समय पहले एक मन्दिर बना लिया। कुरुड़ के पुजारियोँ ने नौटी पर मुकदमा कर लिया लेकिन सीधे साधे कुरुड़ गाँव के ग्रामीणोँ को क्या पता था अदालत सुबूत मांगती है
अब पुराने जमाने मेँ कौन जानता था कि यात्रा की तिथि तारीख को कागज मेँ लिखना भी होता है उन्होँने तो केवल राजजात यात्रा की अब किसे बता था कि ये नौबत आयेगी।अब नौटी के कुछ पढे लिखे जानकार भी थे उन्होँने साँठ गाँठ की और मुकदमा जीत गये और राजगुरु का दर्जा सरकार से हासिल कर ली।पूर्व शिक्षा मंत्री श्री शिवानन्द नौटियाल का गाँव नौटी होने के कारण उन्होँने अपनी किताब मेँ राजजात का आरम्भ नौटी से लिखा है और आज के लेखक उन्ही किताबोँ से लिख लेते हैँ ।कुरुड़ का इतिहास चौदहवी शताब्दी का है।कन्नौज के"सुरमाभोज गौड़ " बद्रीनाथ क्षेत्र के दशौली के कुरुड़ गाँव मे बसे थे ।पुराना नाम यहाँ का कुन्जा कोट था।यहाँ माँ नन्दा व सुनन्दा की दो डोलियाँ हैँ।यहाँ माँ नन्दा उत्तरायणसे भादोँ मास की सप्तमी तक रहती है तथा सप्तमी को क्षेत्र की कुशल क्षेम पूछते हुए हर साल सुन्दर बेदिनी बुग्यालमेँ जात व पूजा पाठ कर के 6 महीने के लिय बधाण के देवराड़ा गाँव मेँ निवास करती हैँ।तथा मकर सक्रांति पर कुरुड़ वापस आती हैँ तथा माँ सुनन्दा भी अगस्त सितम्बर भादोँ सप्तमी को दशौली क्षेत्र का भ्रमण करते हुए कमेड़ा बैराशकुण्ड सप्तकुणड आदि जगहोँ से रामणी नरील बालपाटा तक जाती हैँ तथा यहाँ जात सम्पन्न होती है तथा तब वापस कुरुड़ मन्दिर मे आती हैँ। कार्यक्रम की घोषणा कुरुड़ के पुजारी तथा बधाण (नारायणबगड़ थराली देवाल) के चौदह सयाणे(बुजुर्ग) करते थे लेकिन आज बधाण के चौदह सयाणोँ को बहुत कम लोग जानते हैँ। आपने राजजात मेँ जो भी डोली देखी वो दोनोँ डोलियाँ कुरुड़ की होती हैँ ।फिर भी नौटी खोखला दावा करता है कि राजजात नौटी से ही शुरू होती है विज्ञापनोँ मेँभी हमेशा कुरुड़ की डोलियोँ की फोटो छापकर राजजात के बारे मेँ लिखवाया जाता है। आपके यहाँ देवी देवताओँ की यात्रायेँ होती?
जरूर होती है
चाहे बाबा केदार, माँ चण्डिका,इन्द्रा सनी,काली माई कालीमठ आदि देवी की यात्रा होती हैँ सभी जगह देवी देवताओँ की डोली होती है। इसी प्रकार कुरूड़ मेँ भी नन्दा सुनन्दा की दो डोलियाँ होने के बावजूद भी भुवन नौटियाल राजनेता होने के कारण साजिश के तहत कुरुड़ के नाम को धीरे धीरे दबा रहेँ हैँ । बहुत बड़ी साजिश के तहत कुरुड़ का नाम नौटी के भुवन नौटियाल जो कि कांग्रेसी नेताऔर जिला पं. सदस्य भी है, द्वारा दबाया जाता है।बड़े नेताओँ के साथ मिलकर कुरुड़ का नाम दबाया जाता है।वो केहते हैँ कि राजजात मेँ 500 से अधिक देव डोलियाँ आती हैँ अर्थात कुरुड़ की डोली भी इन मेँ शामिल है।लेकिन सत्य ये है कि नन्दा की केवल 2 डोलियाँ ही राजजात मेँ होती और बाकी अलग जगहोँ के देवी देवताओँ के निशाण रहते हैँ।कुरुड़ की एक डोली जो कि सारे बधाण की ईष्ट है थराली मेँ कुमाँउ के साथ मिल जाती है और दूसरी डोली जो कि दशौली क्षेत्र की ईष्ट है ,वाण गाँव मेँ मिलती है घाट कुरुड़ आके यात्रा चक्र पूरा होती है
और यहाँ से नौटी के बस मेँ अपने घर जाते अरे भाई बस मेँ जाना था तो क्योँ पैदल यात्रा की।घाट मेँ यात्रा का समाप्त होना तो यही दर्शाता है कि पहले भी यात्रा घाट कुरुड़ तक ही होती थी। फिर भी सरकार से मदद पाकर काँसुवा तथा नौटी के नेता नन्दा देवी राजजात के नाम पर शामन्तशाही को इस लोकतान्त्रिक देश मेँ घसीट रहे हैँ तथा इस पर केवल अपना व्यक्तिगत अधिकार समझ रहे हैँ आखिर क्योँ आस्था व विश्वास के नाम पर खिलवाड़ कर रही सरकार और ये नेता।अब जिस देश का प्रधान मंत्री मूक हो तो आम आदमी क्या बोले। आप जानते हैँ कि राजजात समिति ने स्थानीय लोगोँ को समिति मेँ शामिल नही किया अर्थात ये किसी काम के नहीँ ।बड़ेँ नेता को इसका प्रबन्धक बना दिया। सम्पादक शशि भूषण मैठाणी जी ने अपने एक लेख मे सही लिखा है कि आने वाले समय मेँ कुम्भ घोटाले की तरह ही नन्दा राजजात घोटाले की जांच होगी।

By
विपिन चन्द्र गौड़

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